छत्तीसगढ़ में केरल की दो ननों की गिरफ्तारी

 छत्तीसगढ़ में केरल की दो ननों की गिरफ्तारी – पूरा मामला  


छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर 25 जुलाई 2025 की रात एक घटना ने पूरे देश में बहस छेड़ दी। केरल की दो कैथोलिक ननें – सिस्टर प्रीथी मैरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस – तीन युवतियों के साथ ट्रेन में सवार थीं। तभी स्थानीय संगठनों ने पुलिस को सूचना दी कि वे कथित तौर पर  धर्म परिवर्तन और मानव तस्करी के लिए युवतियों को ले जा रही हैं। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों ननों को गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1968 तथा मानव तस्करी की धाराओं में एफआईआर दर्ज की।

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लेकिन मामला यहीं से विवादों में घिर गया। तीनों युवतियों ने साफ कहा कि वे वयस्क हैं और अपनी मर्जी से ननों के साथ नौकरी के लिए आगरा जा रही थीं। उनके पास पहचान पत्र और माता-पिता की लिखित सहमति भी थी। इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें ननों से अलग कर दिया और अदालत में ननों की जमानत अर्जी भी खारिज हो गई

इस घटना पर केरल में जबरदस्त विरोध हुआ। चर्च संगठनों और विपक्षी दलों ने कहा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। उनका आरोप है कि पुलिस ने भीड़ के दबाव में कार्रवाई की। सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें एक संगठन की कार्यकर्ता ननों को धमकाती और अपशब्द कहती नजर आ रही है। इससे यह सवाल खड़ा हुआ कि क्या यह पूरा मामला “मॉब जस्टिस” का शिकार है?

छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि कानून के तहत कार्रवाई की गई है और यह महिलाओं की सुरक्षा का मामला है। वहीं विपक्ष का आरोप है कि बिना सबूत ननों को जेल में डाल दिया गया। अब यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर का राजनीतिक विवाद बन चुका है। चर्च संगठन मानवाधिकार आयोग और केंद्र सरकार से दखल की मांग कर रहे हैं।

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