हापुड़: स्कूल की छत गिरने से मची अफरा - तफरी, बच्चे घायल – लापरवाही पर उठे सवाल

 

हापुड़ के स्कूल में गिर गई छत – मासूम बच्चे घायल, लापरवाही पर उठे सवाल

                           हापुड़ के सरकारी स्कूल में छत गिरने से बच्चे घायल हो गए। 

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भमेड़ा गांव, हापुड़ (उत्तर प्रदेश):
एक सरकारी स्कूल, जिसकी दीवारों पर बच्चे उज्जवल भविष्य की कल्पना करते हैं, वहां अचानक छत का हिस्सा गिर गया और मासूम बच्चे चोटिल हो गए। यह हादसा एक चेतावनी है — एक सिस्टम के लिए जो बच्चों की सुरक्षा तक को गंभीरता से नहीं लेता।


क्या हुआ उस दिन?

घटना 26 जुलाई 2025 की है।
भमेड़ा गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में रोज़ की तरह कक्षाएं चल रही थीं।
लगभग 11:30 बजे, जैसे ही क्लास में पढ़ाई हो रही थी, तभी अचानक छत का प्लास्टर भरभराकर गिर पड़ा
बच्चे डर से चीख उठे, शिक्षक और स्टाफ दौड़ते हुए आए।


कौन-कौन हुआ घायल?

इस हादसे में दो छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए:

  • फिजा खान (10 साल) — सिर में चोट आई, बेहोश हो गई थी

  • मोहम्मद आहिल (11 साल) — माथे पर गहरी चोट, ज़मीन पर गिर पड़ा

दोनों बच्चों को तुरंत स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज कर उन्हें खतरे से बाहर बताया।

बाकी बच्चे बाल-बाल बच गए, पर डर का माहौल गहरा गया।


 स्कूल की हालत पहले से ही खराब थी

स्थानीय लोगों और शिक्षकों ने बताया कि स्कूल की छत और दीवारें पहले से ही कमजोर थीं।
कई बार विभाग को शिकायतें भेजी गई थीं, लेकिन मरम्मत नहीं हुई
बारिश के दिनों में पानी टपकता था, प्लास्टर झड़ता था — मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया।


 प्रशासन की कार्रवाई – अब जागा सिस्टम

घटना के तुरंत बाद:

  • स्कूल को सील कर दिया गया

  • बच्चों को दूसरे नज़दीकी स्कूल में शिफ्ट किया गया

  • 150 से ज़्यादा बच्चे प्रभावित

जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई — जिसमें तहसीलदार, PWD इंजीनियर और शिक्षा अधिकारी शामिल हैं।
कमेटी यह भी देखेगी कि इतनी कमजोर इमारत को फिटनेस सर्टिफिकेट कैसे मिल गया?


 भविष्य में क्या होगा?

  • पूरे हापुड़ जिले के सरकारी स्कूलों का नए सिरे से ऑडिट होगा

  • जिन अधिकारियों की लापरवाही सामने आएगी, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी

  • PWD को सभी स्कूलों की संरचना की रिपोर्ट एक हफ्ते में जमा करनी है


 सवाल जो उठते हैं...

  • क्या हमारे सरकारी स्कूल सुरक्षित हैं?

  • क्या मासूम बच्चों की ज़िंदगी इतनी सस्ती है कि छतें गिरती रहें और सिस्टम आंख मूंदे बैठे?

  • क्या केवल जांच कमेटी बना देने से सब कुछ ठीक हो जाएगा?

यह हादसा बताता है कि स्कूलों की सिर्फ दीवारें नहीं गिरतीं — बल्कि लापरवाही की नींव पर बना सिस्टम भी चरमरा जाता है।


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