🌼संत प्रेमानंद महाराज जी – राधारानी के उस दिव्य सेवक की कहानी, जिनकी वाणी से आत्मा रो उठे
जन्म तो शरीर का था, लेकिन आत्मा तो पहले से ही श्रीराधा के चरणों में समर्पित थी
- संत श्री प्रेमानंद महाराज जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के पास एक छोटे से गांव सर्सौल में हुआ था। उनका सांसारिक नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था। लेकिन यह कोई साधारण बालक नहीं था — इनके मन में बचपन से ही वैराग्य, भक्ति और "राधे राधे" की रट बसी हुई थी।
- जहाँ बच्चे खिलौनों में मस्त रहते हैं, ये बालक राधा रानी की लीलाओं में डूबा रहता था। और फिर एक दिन, संसार की माया को छोड़कर, उन्होंने अपना जीवन श्री राधा के चरणों में समर्पित कर दिया।
🌺 श्रीराधा के बिना कुछ नहीं — यही है उनके प्रवचनों की आत्मा
- महाराज जी जब बोलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे राधा रानी स्वयं वाणी के रूप में उतर आई हों। उनकी वाणी में ना कोई अहंकार है, ना दिखावा — बस एक गहराई, जो आत्मा को झकझोर देती है।
वो कहते हैं –
प्रेम चाहिए तो राधा के चरणों में आइए… संसार तो बस छल है।
- उनकी बातें ना तो किताबों से रटी हुई लगती हैं, ना ही कोई आडंबर — बल्कि अनुभव से निकले हुए अमृत वचन होते हैं।
जिन्हें देख लो, तो राधा की याद आ जाए – वो हैं प्रेमानंद जी महाराज।
वृंदावन में बसाया 'राधा केलि कुंज' — जहाँ हर दीवार से "राधे" की गूंज आती है
- वृंदावन में स्थित उनका आश्रम "श्री हित राधा केलि कुंज", सिर्फ एक ईंट-पत्थर की इमारत नहीं — वो एक भाव, एक चेतना, एक अनुभव है। यहां हजारों भक्त आते हैं, और लौटते हैं तो उनकी आँखें नम होती हैं, पर मन शांत।
- महाराज जी ने आश्रम को कोई व्यावसायिक जगह नहीं बनाया, बल्कि सेवा, भक्ति और प्रेम का केन्द्र बना दिया। यहाँ हर रोज भागवत, सत्संग, सेवा और प्रभु नाम संकीर्तन होता है।
असली संत वही जो प्रेम बांटे — और महाराज जी तो प्रेम की मूरत हैं
- श्री प्रेमानंद महाराज जी ने कभी किसी का तिरस्कार नहीं किया, किसी के विचारों का मज़ाक नहीं उड़ाया। वो कहते हैं:
- अगर कोई बुरा है, तो उसे छोड़ो नहीं… उससे प्रेम करो, क्योंकि प्रेम ही सबसे बड़ा परिवर्तन लाता है।
- उनकी जीवनशैली बिल्कुल सरल है — कोई राजनीति नहीं, कोई प्रदर्शन नहीं, सिर्फ भक्ति और विनम्रता। वो ना पद के पीछे भागे, ना प्रसिद्धि के — फिर भी लाखों हृदय उनके चरणों में झुकते हैं।
युवाओं के लिए मार्गदर्शक – "रिश्ते मज़ाक नहीं, भगवान की व्यवस्था हैं"
- आज के समय में जहाँ बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड का चलन आम हो गया है, वहाँ महाराज जी ने युवाओं को सिखाया कि 'रिश्ते मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि आत्मा की गहराई से जुड़े होते हैं।
- उन्होंने कभी किसी पर ऊँगली नहीं उठाई — बस प्रेमपूर्वक समझाया। यही कारण है कि आज भी बहुत से युवा उनके प्रवचन सुनकर अपनी ज़िंदगी की दिशा बदल रहे हैं।
आंसुओं से गीली हो जाती है ज़मीन, जब वो श्रीराधा का गुणगान करते हैं
- प्रेमानंद महाराज जी का सबसे बड़ा चमत्कार है उनकी आंखों से गिरता प्रेम का झरना। जब वे राधारानी का स्मरण करते हैं, तो उनकी आँखों से आँसू झरते हैं — और उन आँसुओं में भक्तों की आत्मा भी बहती है।
वो कहते हैं:
भगवान को पाने के लिए तीर्थों की ज़रूरत नहीं… सिर्फ एक सच्चा आँसू चाहिए।"
निष्कर्ष – प्रेमानंद जी कोई साधारण व्यक्ति नहीं, वो एक चलती-फिरती राधा भक्ति हैं
- महाराज जी ना तो किसी राजनीतिक विचारधारा से जुड़े हैं, ना ही किसी मतभेद में विश्वास करते हैं। उनका उद्देश्य बस एक है —
- आज जब संसार अशांति, क्रोध, द्वेष और भटकाव से भरा है — ऐसे में श्री प्रेमानंद महाराज जी जैसे संत हमारे लिए प्रेम, शांति और अध्यात्म के प्रकाशस्तंभ हैं।
अंतिम शब्द
यदि आपको सच्चा सुख चाहिए… तो किसी बाजार में मत जाओ, वृंदावन जाओ — और उस संत के चरणों में बैठो, जिसकी हर सांस में 'राधे राधे' है।
वो संत है — प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज।
🔸 "राधा रानी को पुकारना सिर्फ आवाज़ देना नहीं है… ये तो उस माँ को याद करना है जो बिना कहे सब जानती है।"
🔸 "जहाँ सबने छोड़ दिया, वहाँ राधा रानी ने थामा… वो एकमात्र हैं, जो बिना शर्त के अपनाती हैं।"
🔸 "जब तू थक जाए, टूट जाए, बिखर जाए… तो बस एक बार धीमे से कह देना – 'राधे'… और देखना, राधा रानी ख़ुद आँचल फैलाकर तुझे समेट लेंगी।"
🌹 राधे राधे!Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe 🌸🙏🙏🙏
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