मनाली में कंगना रनौत का दौरा: 'कंगना गो बैक' नारे, आपदा प्रभावित क्षेत्र में विरोध और विवाद

मनाली में कंगना रनौत का दौरा और 'कंगना गो बैक' नारे: आपदा प्रभावित क्षेत्र में विवाद

हिमाचल प्रदेश के मनाली में 18 सितंबर 2025 को एक अप्रत्याशित घटना ने सुर्खियां बटोर दी। भाजपा सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत आपदा प्रभावित पतलीकुहल क्षेत्र का दौरा करने पहुंचीं, लेकिन उनका स्वागत कुछ खास नहीं हुआ। स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और 'कंगना गो बैक' के नारे लगाए। इस विरोध ने न केवल मीडिया का ध्यान खींचा, बल्कि राजनीतिक चर्चा में भी हलचल मचा दी।

मनाली में कंगना रनौत का दौरा
                         जनता की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण और राहत कार्य का प्रयास।

कंगना रनौत का दौरा मुख्य रूप से भारी बारिश से प्रभावित इलाके का निरीक्षण करने और पीड़ितों को मदद पहुंचाने के उद्देश्य से था। सांसद होने के नाते उन्होंने राहत कार्यों की जानकारी लेने का प्रयास किया। लेकिन स्थानीय लोग नाराज थे। उनका कहना था कि कंगना पहले इस क्षेत्र में नहीं आई थीं और अब केवल राजनीतिक लाभ के लिए दौरे पर आई हैं। विरोध प्रदर्शन में काले झंडे और नारे लगाए गए, जिससे घटनास्थल पर तनाव उत्पन्न हो गया। https://www.newsrohit.com/

विरोध और धक्का-मुक्की

स्थानीय लोगों के विरोध के दौरान भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच छोटी-मोटी धक्का-मुक्की भी देखने को मिली। पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और स्थिति को नियंत्रित किया। सोशल मीडिया पर इस घटना के वीडियो वायरल हो गए, जिससे यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया।

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 कंगना रनौत का जवाब और घटनास्थल पर उनका पक्ष

इस विवाद के बाद कंगना रनौत ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री के साथ दौरे पर थीं और उन्होंने पूरी कोशिश की कि आपदा प्रभावितों की मदद की जा सके। कंगना ने यह भी बताया कि उनका खुद का रेस्टोरेंट भी प्रभावित हुआ था और उस दिन केवल 50 रुपये का कारोबार हुआ। उनका यह बयान दर्शाता है कि वे खुद भी प्रभावित परिस्थितियों का अनुभव कर रही थीं। https://www.newsrohit.com/

विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी
                    सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत का मनाली दौरा।

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राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

इस घटना का राजनीतिक महत्व भी है। कंगना रनौत भाजपा से जुड़ी हुई हैं और यह विरोध आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में भी चर्चा का विषय बन गया है। स्थानीय निवासियों की नाराजगी और सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो से यह साबित होता है कि आपदा प्रबंधन और राजनीतिक गतिविधियों के बीच संतुलन बनाना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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 घटना का सामाजिक और स्थानीय प्रभाव

इस घटना ने यह सवाल उठाया कि जब कोई सार्वजनिक हस्ती आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करती है, तो स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान कितना जरूरी है। विरोध केवल व्यक्तिगत राय नहीं है, बल्कि यह समाज और राजनीतिक विचारधारा का प्रतीक बन गया है। कंगना के दौरे और विरोध ने यह साबित कर दिया कि लोकप्रियता और राजनीति के बीच संवेदनशील संतुलन बनाना कितना महत्वपूर्ण है। https://www.newsrohit.com/

मनाली में हुए 'कंगना गो बैक' नारे दर्शाते हैं कि जनता अपनी भावनाओं और असंतोष को खुलकर व्यक्त कर सकती है। कंगना रनौत का दौरा और स्थानीय विरोध यह भी दिखाता है कि राजनीतिक और सामाजिक जिम्मेदारी दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि आपदा प्रबंधन और जनता की भावनाओं के बीच संतुलन बनाना बेहद आवश्यक है।

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