सोना-चांदी के भारी दाम फिर भी सितंबर में आयात दोगुना – त्योहार और शादी का असर
भारत में सोना-चांदी का रिश्ता बहुत पुराना है। यहाँ हर घर में सोना-चांदी को सिर्फ़ गहनों के तौर पर नहीं, बल्कि शगुन और सुरक्षा के रूप में देखा जाता है। इसी वजह से चाहे दाम आसमान पर क्यों न हों, लोग खरीदारी से पीछे नहीं हटते। इसका ताज़ा सबूत सितंबर 2025 का आंकड़ा है, जब भारत का सोना और चांदी का आयात पिछले साल के मुकाबले लगभग दोगुना दर्ज किया गया।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोना-चांदी उपभोक्ता देश है।क्यों बढ़ गई खरीदारी
सितंबर का महीना खास होता है क्योंकि इसके बाद त्योहार और शादी का मौसम शुरू हो जाता है।नवरात्रि, दुर्गा पूजा, करवा चौथ, धनतेरस और दिवाली – ये सब बड़े त्योहार इसी समय आते हैं।
अक्टूबर-नवंबर में शादी-ब्याह का सीज़न भी शुरू हो जाता है।
गाँव-देहात हो या शहर, हर जगह लोग इस मौके पर सोना-चांदी खरीदना शुभ मानते हैं। महिलाएं नई चूड़ियां, बाली, झुमके लेती हैं और घर वाले सिक्के या छोटे गहने ज़रूर लेते हैं। यही वजह रही कि सितंबर में आयात में अचानक तेजी देखी गई।
शुरुआती आंकड़े क्या बताते हैं?
व्यापार से जुड़े शुरुआती आंकड़ों के हिसाब से सोने का आयात सितंबर में करीब दोगुना रहा।चांदी का आयात भी तेज़ी से बढ़ा हालांकि ये आंकड़े अभी सरकारी पक्के आंकड़े नहीं हैं। यह शुरुआती कस्टम क्लियरिंग और बाजार के रुझानों पर आधारित है। सरकार का असली डेटा कुछ दिनों बाद आएगा, लेकिन जो रुझान अभी दिख रहे हैं, वे काफी मजबूत हैं।
दाम ऊँचे होने के बावजूद खरीद क्यों हुई
कई लोगों को यह सवाल है कि जब सोने का भाव 65,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से ऊपर और चांदी लगभग 85,000 रुपये किलो तक पहुँच गई थी, तब भी लोग क्यों खरीद रहे हैं इसकी वजहें साफ हैं:
परंपरा और आस्था – भारत में सोना सिर्फ़ धातु नहीं, बल्कि घर की इज़्ज़त और शुभता से जुड़ा है। शादी-ब्याह और त्यौहार पर सोना-चांदी लेना जरूरी समझा जाता है।
त्योहार का असर – लोग मानते हैं कि नवरात्रि और दिवाली पर सोना खरीदना शुभ होता है। चाहे दाम ऊँचे हों, पर लोग थोड़ा-बहुत ज़रूर खरीदते हैं।
निवेश का भरोसा – महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता में लोग सोना-चांदी को सबसे सुरक्षित बचत मानते हैं।
ड्यूटी का डर – व्यापारियों को शक है कि सरकार त्योहार के बाद आयात शुल्क बढ़ा सकती है, इसलिए पहले से ही ज़्यादा माल मंगवा लिया गया।
अंतरराष्ट्रीय बाजार पर भारत का असर
भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोना खरीदने वाला देश है। जब यहाँ मांग बढ़ती है, तो उसका असर पूरे दुनिया के बाज़ार पर पड़ता है सोने-चांदी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भी चढ़ गईं।डॉलर और रुपये के बीच उतार-चढ़ाव ने आयात की लागत और बढ़ा दी।
यानी भारत की मांग ने न सिर्फ़ अपने देश का बाजार गर्म किया बल्कि विदेशी बाजारों को भी हिला दिया।
ज्वेलर्स और विशेषज्ञ क्या कहते हैं
बड़े ज्वेलर्स और जानकार मानते हैं कि भारत में चाहे दाम कितने भी बढ़ जाएं, त्योहार और शादी के मौसम में लोग सोना-चांदी खरीदना नहीं छोड़ते।इस बार सितंबर में जो आयात हुआ, वह बताता है कि भारतीय बाजार दुनिया के लिए कितना मजबूत औरभरोसेमंद है।
गाँव-देहात की तस्वीर
शहरों के बड़े शोरूम में तो भीड़ दिखी ही, लेकिन गाँव-देहात भी पीछे नहीं रहे।गाँव की औरतें छोटी-छोटी बालियां, पायल और सिक्के खरीदती दिखीं।
कई परिवारों ने थोड़ी-थोड़ी बचत निकालकर सोना-चांदी खरीदा, ताकि त्योहार पर शगुन बना रहे।
यह साफ दिखता है कि सोना-चांदी सिर्फ़ अमीरों का शौक नहीं, बल्कि हर घर की ज़रूरत और परंपरा है।
सरकारी आंकड़ों का इंतज़ार
यह ज़रूरी है कि ध्यान रहे – अभी तक यह खबर शुरुआती आंकड़ों और व्यापार से जुड़े सूत्रों पर आधारित है। असली और पक्के आंकड़े तब सामने आएंगे जब सरकार आधिकारिक रिपोर्ट जारी करेगी। तब पता चलेगा कि सितंबर में वाकई कितना सोना और चांदी आयात हुआ।
सितंबर 2025 में सोना और चांदी का आयात पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुना रहा।
त्योहार और शादी के मौसम ने मांग को और तेज़ किया।
दाम आसमान छूने के बावजूद खरीदार पीछे नहीं हटे।
आधिकारिक आंकड़े आने के बाद पूरी तस्वीर और साफ होगी।
भारत एक बार फिर यह साबित कर रहा है कि यहाँ सोना-चांदी सिर्फ़ गहना या धातु नहीं है, बल्कि आस्था, परंपरा और सुरक्षित निवेश का प्रतीक है।
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